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बुधवार, नवंबर 29

अजरामर प्याला(रुबाई)



 मैं कमसिन कोमल बाला हूं

यौवन रस का अजरामर प्याला हूं

मन के भर जाने तक तू पीता रह

मैं पूरी की पूरी मधुशाला हूं

 कुमार अहमदाबादी

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मुलाकातों की आशा(रुबाई)

मीठी व हंसी रातों की आशा है रंगीन मधुर बातों की आशा है  कुछ ख्वाब एसे हैं जिन्हें प्रीतम से मदमस्त मुलाकातों की आशा है  कुमार अहमदाबादी