Translate

रविवार, नवंबर 5

मन क्यों व्याकुल है(मुक्तक)


सोचो कितना पावन तेरा कुल है
जिस धरती पर जन्मा है गोकुल है
भारत की धरती है रघुवर की भी
फिर तेरा मन क्यों इतना व्याकुल है
कुमार अहमदाबादी

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

चल जल्दी चल (रुबाई)

  चल रे मन चल जल्दी तू मधुशाला  जाकर भर दे प्रेम से खाली प्याला मत तड़पा राह देखने वाली को  करती है इंतजार प्यासी बाला  कुमार अहमदाबादी