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शनिवार, सितंबर 21

चिता सजानी है मुझे (रुबाई)

 

सीने की आग अब दिखानी है मुझे
घावों में आग भी लगानी है मुझे
जीवन से तंग आ गया हूं यारों
अब अपनी ही चिता सजानी है मुझे
कुमार अहमदाबादी

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दैवी ताकत(रुबाई)

  जन्मो जन्मों की अभिलाषा हो तुम सतरंगी जीवन की आशा हो तुम  थोडा पाती हो ज्यादा देती हो दैवी ताकत की परिभाषा हो तुम  कुमार अहमदाबादी