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शुक्रवार, सितंबर 20

शरम आंख री छोड मत (राजस्थानी ग़ज़ल)


तूं शरम आंख री छोड मत

बात सुण सामने बोल मत


आठ दस कोस सूं लायी हूं

पोणी ने फालतू ढोळ मत


देख तूं होस में कोयनी

भाई री पोल तूं खोल मत


एकता घर री नींव है

बोल सूं नींव ने खोद मत


हाथ पग टूट जासी 'कुमार'

सामने ढाळ है दोड मत

कुमार अहमदाबादी

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दैवी ताकत(रुबाई)

  जन्मो जन्मों की अभिलाषा हो तुम सतरंगी जीवन की आशा हो तुम  थोडा पाती हो ज्यादा देती हो दैवी ताकत की परिभाषा हो तुम  कुमार अहमदाबादी