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मंगलवार, अक्तूबर 24

अपना डेरा है(रुबाई)

 कहते हैं जोगी वाला फेरा है

इस जग में क्या तेरा क्या मेरा है

लेकिन जैसा भी है जब तक है दम

ये नश्वर जग ही अपना डेरा है

कुमार अहमदाबादी 

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मुलाकातों की आशा(रुबाई)

मीठी व हंसी रातों की आशा है रंगीन मधुर बातों की आशा है  कुछ ख्वाब एसे हैं जिन्हें प्रीतम से मदमस्त मुलाकातों की आशा है  कुमार अहमदाबादी