Translate

शुक्रवार, जून 14

ये असल है वो नहीं(गज़ल)

ये असल है वो नहीं

ये नकल है वो नहीं


घास वो गेहूं है ये

ये फ़सल है वो नहीं 


आदमी दोनों हैं पर

ये सरल है वो नहीं


फर्क दोनों में है क्या

ये तरल है वो नहीं 


फूल हैं दोनों “कुमार”

ये कमल है वो नहीं

कुमार अहमदाबादी 




कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

चल जल्दी चल (रुबाई)

  चल रे मन चल जल्दी तू मधुशाला  जाकर भर दे प्रेम से खाली प्याला मत तड़पा राह देखने वाली को  करती है इंतजार प्यासी बाला  कुमार अहमदाबादी