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शुक्रवार, जून 28

भटको मत तुम दर दर(रुबाई)

 

सच कहता हूँ भटको मत तुम दर दर

जिस को तुम पूजते हो वो है पत्थर 

परमात्मा है धरती के कण कण में

यारों सच्चा मंदिर है अपना घर

कुमार अहमदाबादी 


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चिता सजानी है मुझे (रुबाई)

  सीने की आग अब दिखानी है मुझे घावों में आग भी लगानी है मुझे जीवन से तंग आ गया हूं यारों अब अपनी ही चिता सजानी है मुझे कुमार अहमदाबादी