Translate

गुरुवार, जून 27

हवा को हवा दो(गज़ल)


हवा को हवा दो

सनम दिल चुरा लो 


शराबी नयन को

जरा से झुका दो


गुलाबी बदन को

गुलों से सजा दो 


मुलाकात होगी

मुझे ये बता दो


अधर को मिलन का 

कभी तो मज़ा दो


सनम चेहरे से

अलकलट हटा दो


निशा अब गहन है

ये दीपक बुझा दो


चलो मान लूंगा 

बहाना बना दो 

कुमार अहमदाबादी

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

चल जल्दी चल (रुबाई)

  चल रे मन चल जल्दी तू मधुशाला  जाकर भर दे प्रेम से खाली प्याला मत तड़पा राह देखने वाली को  करती है इंतजार प्यासी बाला  कुमार अहमदाबादी