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शुक्रवार, दिसंबर 10

सजा(मुक्तक)

 हमारे युवा को सजा दी गयी है

हवा को नशे की दवा दी गयी है

न सोचे न समझे न पूछे न जाने

युवा सोच को वो दिशा दी गयी है

कुमार अहमदाबादी 

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बेमौसम बरसात (रुबाई)

जब जब होती है बेमौसम बरसात  शोले बन जाते हैं मीठे हालात  कहती है बरसात आओ तुम भीगो हौले हौले फिर भीगेंगे जज़बात  कुमार अहमदाबादी