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रविवार, दिसंबर 26

तांगा गीत

कयी दशकों पहले ओ.पी.नैयर ने घोड़ो की टाप पर आधारित ताल पर कयी धुनें बनायी थी। उसी ताल पर गीत लिखने का एक प्रयोग मैंने भी किया है। 

गीत पेश है,


*तांगा गीत*

जीया जीया जीया मेरा जीया ये चाहे संग,  सैंया के झूलूं प्रेम हिंडोले

गोरी गोरी गोरी(2) तेरे जाने ना इशारे, इतने भी भोले नहीं सैंया तुम्हारे


गोरी गोरी गोरी इ इ इ इ इ इ इ

अरे सुन मेरी प्यारी बांहों में तुझे लूंगा


बांहों में तुझे लेकर मैं झूला झूलाउंगा

ओ मेरे प्यारे सैंया बांहों में तेरी आउंगी


बांहो में तेरी आके मैं फूली ना समाउंगी

पीया मेरे जीया मेरा तूने चुराया

तूने पुकारा मैं दौडा चला आया...गोरी गोरी.....


ये प्रेम का झूला यूं झूले ए दोनों के

जो भी हमें देखे तो दिखे इक दोनों 


ये बांहें तेरी है मेरा प्रेम हिंडोला 

बांहों में यूं झूली के तन सुध भूला


तनमन तेरे मेरे बन गये झूला

सांसे झूले देखो प्रेम का झूला....गोरी गोरी ....



इस प्रेम के झूले में झूल के सैंया

मैं तुझ में समायी औ' मंजिल है पायी


मैंने जो खोया है तूने वो पाया

तूने जो खोया है मैंने वो पाया


खोना पाना पाना खोना रीत है पुरानी

रीत ये पुरानी लगे हमें भी सुहानी...गोरी गोरी....

*कुमार अहमदाबादी*

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