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शुक्रवार, दिसंबर 31

मोर नाचे नाचसी

 मोर नाचे नाचसी 

मन री बायड काढसी


मोती सच्चा लाधसी

भाग थारा जागसी 


बात मन री जे हुवे 

तूं बणाये लापसी


संचसी नहीं पाणी तो

धूड मिट्टी फाकसी


आयी है लछमी घरे

धोए मुंढो आळसी?


पीड थारी एक दिन

काळजे ने बाळसी 


फूंक मत घर कोइ रो 

 हाय बीरी लागसी

कुमार अहमदाबादी 


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मीठी व हंसी रातों की आशा है रंगीन मधुर बातों की आशा है  कुछ ख्वाब एसे हैं जिन्हें प्रीतम से मदमस्त मुलाकातों की आशा है  कुमार अहमदाबादी