Translate

शुक्रवार, दिसंबर 17

प्रतीक्षा का दीप

 सोलह सिंगार कर के

प्रतीक्षा के दीप को 

प्रज्वलित किया है

देखना है हवा कब

मीठा मनमोहक झोंका बनकर

कामना की ज्वाला को ठारेगी

कुमार अहमदाबादी 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

बेमौसम बरसात (रुबाई)

जब जब होती है बेमौसम बरसात  शोले बन जाते हैं मीठे हालात  कहती है बरसात आओ तुम भीगो हौले हौले फिर भीगेंगे जज़बात  कुमार अहमदाबादी