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मंगलवार, दिसंबर 14

बात सीधी है(गज़ल)

बात सीधी है सरल है 
शब्द से गूंथी गज़ल है

हाथ में है हाथ या फिर 
हाथ में मेरे कमल है

दूसरे सब रस है झूठे
प्रेम का रस ही असल है

आदमी मजबूत है फिर 
आंख इस की क्यों सजल है

घाव खाकर जो न रोये
आदमी वही असल है

बात में दम है 'कुमार'
ये गज़ल भी इक कमल है
कुमार अहमदाबादी 

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