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शनिवार, नवंबर 26

द्वार खुलने दो जरा

 

द्वार मधुशाला के खुलने दो जरा
पात्र को अमृत से भरने दो जरा
अप्सराएं नृत्य करने आएंगी
रंग मस्तक को बदलने दो जरा
कुमार अहमदाबादी

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बेमौसम बरसात (रुबाई)

जब जब होती है बेमौसम बरसात  शोले बन जाते हैं मीठे हालात  कहती है बरसात आओ तुम भीगो हौले हौले फिर भीगेंगे जज़बात  कुमार अहमदाबादी