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सोमवार, नवंबर 28

तड़पाएगी(मुक्तक)

 


जानता हूं तू मुझे तड़पाएगी
औ’ कभी एकांत में हंसाएगी
सामने जब आएगी सब भूलकर
दौड़कर मेरे गले लग जाएगी

कुमार अहमदाबादी


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