नखरे मत कर पी ले तू ये दूध पी ले
सब से पहले पी ले तू ये दूध पी ले
अमरत होता है गाय का दूध ‘कुमार’
पीकर सुख से जी ले तू ये दूध पी ले
कुमार अहमदाबादी
साहित्य की अपनी एक अलग दुनिया होती है। जहां जीवन की खट्टी मीठी तीखी फीकी सारी भावनाओं को शब्दों में पिरोकर पेश किया जाता है। भावनाओं को सुंदर मनमोहक मन लुभावन शब्दों में पिरोकर पेश करने के लिये लेखक के पास कल्पना शक्ति होनी जरुरी है। दूसरी तरफ रचना पढ़कर उस का रसास्वादन करने के लिये पाठक के पास भी कल्पना शक्ति होनी जरुरी है। इसीलिये मैंने ब्लॉग का नाम कल्पना लोक रखा है।
नखरे मत कर पी ले तू ये दूध पी ले
सब से पहले पी ले तू ये दूध पी ले
अमरत होता है गाय का दूध ‘कुमार’
पीकर सुख से जी ले तू ये दूध पी ले
कुमार अहमदाबादी
मेरी जीवन साथी है ये बोतल
सच्ची जीवनदायी है ये बोतल
यारों आओ बैठो तुम भी पी लो
गोरस से तर प्यारी है ये बोतल
कुमार अहमदाबादी
जीवन लौटा है फिर से जीवन में
खुशबू लौटी है उज्जड़ चंदन में
बिछड़ा साथी अब है जीवन साथी
भंवरा वापस आया है मधुवन में
कुमार अहमदाबादी
चौके से आयी सब्जी की खुशबू
साथ आयी टिक्कड़ रोटी की खुशबू
खाना लेकर आयी तो साथ आयी
उत्तम औ' कोमल पत्नी की खुशबू
कुमार अहमदाबादी
खिड़की में खड़ी है आंखें हैं पथ पर
बेचैन बड़ी है आंखें हैं पथ पर
आए नहीं क्यों साजन अब तक लेने
सावन की झड़ी है आंखें हैं पथ पर
कुमार अहमदाबादी
स्वीकार कठिन है या इंकार कठिन
सन्यास कठिन है या संसार कठिन
ये प्रश्न अमर है छोड़ो फिक्र ‘कुमार’
तुम प्यार करो प्यारे है प्यार कठिन
कुमार अहमदबादी
देवी, जो भी कहना है मुझे, कह दो ना
क्या चाहिये तुम को आज बोलो तुम
मैले हैं ये कपड़े ए बलम धो दो ना
कुमार अहमदाबादी
ये सोचती है क्यों है सनम मुझ से दूर
दफ्तर से आकर वो ही भरेंगे अब मांग
चुटकी में लिये बैठी है कब से सिंदूर
कुमार अहमदाबादी
एसे पति पत्नी जिन्होंने साहित्य में एम.ए. किया था। उन का शाब्दिक झगड़ा
पत्नी -
मैंने तुम्हारा नाम
रेत पर लिखा तो धुल गया
हवा में लिखा तो उड़ गया
फिर,
मैंने तुम्हारा नाम दिल पर लिखा तो हृदयाघात हो गया
पति -
परमात्मा ने मुझे भूखा देखा तो रोटी बनाई
परमात्मा ने मुझे प्यासा देखा तो पानी बनाया
परमात्मा ने मुझे अंधेरे में देखा तो रोशनी बनाई
परमात्मा ने मुझे समस्या विहीन देखा तो तुम्हें बनाया
*अनुवादक - कुमार अहमदाबादी*
યુવાની રેતની માફક સરકતી રહી
પળે પળ સ્વર્ણ મૃગ પાછળ ભટકતી રહી
સમય વીતી ગયો એના પછી સઘળી
આશાઓ રોજ શ્રાવણ થઈ વરસતી રહી
અભણ અમદાવાદી
पी ले मेरे प्यारे लाला पी ले
एसा प्याला सब को मिलता है क्या
ये आंखें हैं मादक हाला पी ले
कुमार अहमदाबादी
बाँहों में आकर प्यास बहक जाती है
ज्यों आग हो चूल्हे की दहक जाती है
फिर प्रेम की गंगा में निरंतर बहकर
संतृप्त निशा रानी महक जाती है
*कुमार अहमदाबादी*
बेकार वहां वो है यहां मैं भी हूँ
लाचार वहां वो है यहां मैं भी हूँ
पूछो न हमें प्रेम का फल क्या पाया
बीमार वहां वो है यहां मैं भी हूँ
कुमार अहमदाबादी
हर स्तर पर लोगों को बदलना होगा
कलयुग के दानव को सुधरना होगा
दानव ना बदला तो, तो कान्हा को फिर
मर्दन काली नाग का करना होगा
कुमार अहमदाबादी
ये कश्मीरी भी है व है आसामी
जीवन इन के साथ मुझे जीना है
स्वीकारो प्रस्ताव व भर दो हामी
कुमार अहमदाबादी
जन्मो जन्मों की अभिलाषा हो तुम सतरंगी जीवन की आशा हो तुम थोडा पाती हो ज्यादा देती हो दैवी ताकत की परिभाषा हो तुम कुमार अहमदाबादी