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शनिवार, जून 17

सुनो सुन लो ना (रुबाई)


पत्नी ने कहा ए जी सुनो सुन लो ना

देवी, जो भी कहना है मुझे, कह दो ना

क्या चाहिये तुम को आज बोलो तुम

मैले हैं ये कपड़े ए बलम धो दो ना

कुमार अहमदाबादी

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मुलाकातों की आशा(रुबाई)

मीठी व हंसी रातों की आशा है रंगीन मधुर बातों की आशा है  कुछ ख्वाब एसे हैं जिन्हें प्रीतम से मदमस्त मुलाकातों की आशा है  कुमार अहमदाबादी