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बुधवार, जून 21

प्यासी विनती(रुबाई)


 मन को मेरे जानो अंतरयामी
पीड़ा को पहचानो अंतरयामी
दर्शन दो स्वामी प्यासे नैनों के 
प्यासी विनती मानो अंतरयामी 
कुमार अहमदाबादी

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बेमौसम बरसात (रुबाई)

जब जब होती है बेमौसम बरसात  शोले बन जाते हैं मीठे हालात  कहती है बरसात आओ तुम भीगो हौले हौले फिर भीगेंगे जज़बात  कुमार अहमदाबादी