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मंगलवार, जून 27

मस्तानी(रुबाई)

शायद पागल हो गयी है मस्तानी
दर्पण देखे जा रही है दीवानी
सोलह की है आयु ही कुछ एसी की
मन कहता है कोई करे शैतानी
कुमार अहमदाबादी 

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बेमौसम बरसात (रुबाई)

जब जब होती है बेमौसम बरसात  शोले बन जाते हैं मीठे हालात  कहती है बरसात आओ तुम भीगो हौले हौले फिर भीगेंगे जज़बात  कुमार अहमदाबादी