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गुरुवार, जून 8

बेकार वहां वो है (रुबाई )

 

बेकार वहां वो है यहां मैं भी हूँ 

लाचार वहां वो है यहां मैं भी हूँ 

पूछो न हमें प्रेम का फल क्या पाया 

बीमार वहां वो है यहां मैं भी हूँ 

कुमार अहमदाबादी

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मीठी व हंसी रातों की आशा है रंगीन मधुर बातों की आशा है  कुछ ख्वाब एसे हैं जिन्हें प्रीतम से मदमस्त मुलाकातों की आशा है  कुमार अहमदाबादी