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बुधवार, जुलाई 10

आ जाओ दुल्हन बनकर (रुबाई)

 

आओ आ जाओ अब दुल्हन बनकर

महका दो जीवन को चंदन बनकर

मानो सजनी पुकार प्रेमी दिल की 

सांसों को धडका दो जीवन बनकर

कुमार अहमदाबादी

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बेमौसम बरसात (रुबाई)

जब जब होती है बेमौसम बरसात  शोले बन जाते हैं मीठे हालात  कहती है बरसात आओ तुम भीगो हौले हौले फिर भीगेंगे जज़बात  कुमार अहमदाबादी