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रविवार, जुलाई 7

मत रोक मुझे (रुबाई)

गालों को भीगना है मत रोक मुझे 

छालों को फूटना है मत रोक मुझे 

सूखे सूखे आंसूओं को यारा 

प्यालों में डूबना है मत रोक मुझे 

कुमार अहमदाबादी 

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किस्मत की मेहरबानी (रुबाई)

  जीवन ने पूरी की है हर हसरत मुझ को दी है सब से अच्छी दौलत किस्मत की मेहरबानी से मेरे आंसू भी मुझ से करते हैं नफरत कुमार अहमदाबादी