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शुक्रवार, जुलाई 19

सांसें हो जाए रंगीन (रुबाई)


दो बोतल जाम और थोडी नमकीन

साथी हों चंद सोमरस के शौक़ीन 

मस्ती का दौर फिर चले एसे की

सांसें भी अंत तक हो जाए रंगीन

कुमार अहमदाबादी

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चल जल्दी चल (रुबाई)

  चल रे मन चल जल्दी तू मधुशाला  जाकर भर दे प्रेम से खाली प्याला मत तड़पा राह देखने वाली को  करती है इंतजार प्यासी बाला  कुमार अहमदाबादी