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शुक्रवार, जुलाई 12

पढाएं मास्टर जी(मुक्तक)


ककहरा मुझ को पढाएं मास्टर जी

व्याकरण क्या है बताएं मास्टर जी

मुझ को गिनती करनी है लाखों की कल आज

एक से सौ तक सिखाएं मास्टर जी 

कुमार अहमदाबादी

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किस्मत की मेहरबानी (रुबाई)

  जीवन ने पूरी की है हर हसरत मुझ को दी है सब से अच्छी दौलत किस्मत की मेहरबानी से मेरे आंसू भी मुझ से करते हैं नफरत कुमार अहमदाबादी