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मंगलवार, जुलाई 2

क्यों लूं डर डर कर(रुबाई)


क्यों लूं उन से कुछ भी अब डर डर कर

जो चाहूं ले सकती हूं लड़ लड़ कर

पर वो मौका कहां मुझे देते हैं

जो चाहूं दे देते हैं हंँस हँस कर

*कुमार अहमदाबादी*

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चल जल्दी चल (रुबाई)

  चल रे मन चल जल्दी तू मधुशाला  जाकर भर दे प्रेम से खाली प्याला मत तड़पा राह देखने वाली को  करती है इंतजार प्यासी बाला  कुमार अहमदाबादी