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शनिवार, जनवरी 1

मंदिर-यात्रा

एक दिन वॉट्स'प पर मैसेज देखा। जो सूचना रुपी मैसेज था; जो कि विशेषतः समाज के वरिष्ठ नागरिकों के लिये था। सूचना ये थी;  सागर मेला परिवार गोठ समिति द्वारा समाज के वरिष्ठ नागरिकों को अहमदाबाद और उस के आसपास के मंदिरों के दर्शन करवाने का आयोजन किया गया है। सूचना में आयोजन की ता.23-08-2021 समय सुबह 7:30 बजे का लिखा था। इस के अन्य आवश्यक दिशानिर्देश थे। जैसे कि यात्रा में आनेवाले सब को अपना आधिकारिक पहचान-पत्र साथ रखना होगा। जरुरत के अनुसार सूखा नाश्ता साथ रखें। गहने व अन्य कीमती जेवर पहनकर न आयें। समय एवं सूचनाओं का पालन करें। यात्रा के दौरान भजन कीर्तन आनंद लेना हो तो भजनों की पुस्तक या पुस्तिका साथ ले सकते हैं। सूक्ष्म वाजिंत्र भी साथ ले सकते हैं। चूंकि यात्रा वरिष्ठ नागरिकों के लिये थी। एक विशेष सूचना थी कि 'यात्री रोज़मर्रा की दवाई जरुर साथ लेवें।' सोश्यल डिस्टेंस व मास्क के नियम का पालन करने के लिये विशेष आग्रह किया गया था। 

ता-23-08-2021 की सुबह हुयी। सब यात्री समय के अनुसार समाज की वाडी पर पहुंच गये। ए.एम.टी.एस. की बसें आयीं। सब यात्रियों को जिस बस में बैठने की सूचना थी। उस के अनुसार सब अपनी अपनी बस में सवार हो गये। 

हाँ, रवाना होने से पहले मैंने एक कार्य अवश्य किया था। यात्रा के आयोजकों में से एक केदार जी को कहकर हम जिस बस में बैठे थे। उस के आरटीओ नंबर का फोटो खिंचवा लिया। अच्छी समझो या बुरी ये मेरी आदत है। किसी महत्वपूर्ण यात्रा से पहले वाहन का आरटीओ नंबर जरुर नोट कर लेता हूँ। 

बहरहाल साहब, जयकारे के साथ यात्रा आरम्भ हुयी। 

यात्रा का सब से पहला पडाव था, 

*तिरुपति बालाजी मंदिर, एस जी हाइवे*

वहां सब ने दर्शन किये। तिरुपति बालाजी का मुख्य व सब से महत्वपूर्ण मंदिर दक्षिण भारत में है। किंवदंती के अनुसार तिरुपति बालाजी को विष्णु का अवतार है। अहमदाबाद में भी तिरुपति बालाजी के मंदिर का ई.स.2007 में दर्शनों के लिये उपलब्ध हुआ। बालाजी मंदिर के बाद मंदिर-यात्रा की बसें  पहुंची। वैष्णीदेवी मंदिर के लिये रवाना हुयी। 

अहमदाबाद का वैष्णोदेवी मंदिर जम्मू कश्मीर के मूल वैष्णो देवी मंदिर की एक सच्ची प्रतिकृति है और पवित्र हिंदू मंदिर की तीर्थ यात्रा करने वाले भक्तों की तलाश को पूरा करता है। पवित्र मंदिर के वातावरण का वास्तविक अहसास देने के लिए इसे एक नकली पहाड़ी के ऊपर स्थापित किया गया है।


पीले बलुआ पत्थर से बनी एक मानव निर्मित पत्थर की पहाड़ी एक गोलाकार आकार में है जिसमें कई सुंदर नक्काशी और देवी-देवताओं की मूर्तियां हैं। तीर्थयात्रियों को पहाड़ी की चोटी पर स्थित मुख्य मंदिर तक पहुंचने के लिए मानव निर्मित पहाड़ी से गुजरना पड़ता है।


एक व्यक्तिगत ट्रस्ट द्वारा निर्मित सरखेज गांधीनगर राजमार्ग पर वैष्णोदेवी सर्कल पर स्थित है।

*(मंदिर यात्रा का विवरण शब्दयात्रा के रुप में जारी है)*

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मीठी व हंसी रातों की आशा है रंगीन मधुर बातों की आशा है  कुछ ख्वाब एसे हैं जिन्हें प्रीतम से मदमस्त मुलाकातों की आशा है  कुमार अहमदाबादी