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बुधवार, मार्च 6

याद है शरारत (मुक्तक)



थी बहुत ही वो प्यारी हिमाकत सनम

भा गयी थी नशीली शराफत सनम

मैं नहीं भूलना चाहता स्पर्श वो

याद है होठ की वो शरारत सनम

कुमार अहमदाबादी

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बेमौसम बरसात (रुबाई)

जब जब होती है बेमौसम बरसात  शोले बन जाते हैं मीठे हालात  कहती है बरसात आओ तुम भीगो हौले हौले फिर भीगेंगे जज़बात  कुमार अहमदाबादी