थी बहुत ही वो प्यारी हिमाकत सनम
भा गयी थी नशीली शराफत सनम
मैं नहीं भूलना चाहता स्पर्श वो
याद है होठ की वो शरारत सनम
कुमार अहमदाबादी
साहित्य की अपनी एक अलग दुनिया होती है। जहां जीवन की खट्टी मीठी तीखी फीकी सारी भावनाओं को शब्दों में पिरोकर पेश किया जाता है। भावनाओं को सुंदर मनमोहक मन लुभावन शब्दों में पिरोकर पेश करने के लिये लेखक के पास कल्पना शक्ति होनी जरुरी है। दूसरी तरफ रचना पढ़कर उस का रसास्वादन करने के लिये पाठक के पास भी कल्पना शक्ति होनी जरुरी है। इसीलिये मैंने ब्लॉग का नाम कल्पना लोक रखा है।
एक सुनार जडिये रामू की घटना है. रामू ने पिता के पास से एक नीलम की अंगूठी पहनने के लिए ली. पिता ने चेतावनी देकर कहा कि देख ये नीलम है. ये सब ...
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