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शुक्रवार, मार्च 29

छेड़ दो (मुक्तक)



बांसुरी से राग मीठा छेड़ दो
मन लुभावन गीत प्यारा छेड़ दो
गोपियों की बात मानो कृष्ण तुम
तार राधा का जरा सा छेड़ दो
कुमार अहमदाबादी

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चल जल्दी चल (रुबाई)

  चल रे मन चल जल्दी तू मधुशाला  जाकर भर दे प्रेम से खाली प्याला मत तड़पा राह देखने वाली को  करती है इंतजार प्यासी बाला  कुमार अहमदाबादी