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शनिवार, मार्च 2

केसर की क्यारी (रुबाई)




 सब से न्यारी है केसर की क्यारी

सब को प्यारी है केसर की क्यारी

ये  जीवन भी  है  बागीचा इस में

हर इक नारी है केसर की क्यारी 

कुमार अहमदाबादी 


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बेमौसम बरसात (रुबाई)

जब जब होती है बेमौसम बरसात  शोले बन जाते हैं मीठे हालात  कहती है बरसात आओ तुम भीगो हौले हौले फिर भीगेंगे जज़बात  कुमार अहमदाबादी