तर्ज - ये गोटेदार लहंगा
सेवक लाये हैं भंगिया, भोले बाबा छान के
भर भर के लोटा पीले, मस्ती में छान के ।। टेर।।
बड़े जतन से हौले -2, भांग तेरी घुटवाई,
केसर पिस्ता खूब मिलाया, छान लेई ठण्डाई,
हमरी भी रख ले बतिया-2, सेवक तू जान के।।१।।
गौरा मैया के हाथों से, भांग सदा तू खाये,
तेरे सेवक बडे चाव से, आज घोटकर लाये,
सावन की बुंदे थिरके-2, रिमझिम की ताल पे।।२।।
और देव होते तो लाते, भर भर थाल मिठाई,
लेकिन भोले बाबा तुझ को , भांग सदा ही भाई
भक्त दया का भोले-2, हम को भी दान दे
ये रचना मैंने एम.जे. लायब्रेरी की किताब रस-माधुरी(श्री सांवरिया भक्त मंडल द्वारा संग्रहित व प्रकाशित) में पढी थी। बहुत मीठी व प्यारी लगी; सो रसिकों के लिये यहां पोस्ट कर दी।
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