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गुरुवार, नवंबर 15

पहेली

लोक नजर पहेली है
कवि की कौन सहेली है
शब्दों में राज़ ये कह दूँ
कविता बड़ी अलबेली है
कुमार अहमदाबादी

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चल जल्दी चल (रुबाई)

  चल रे मन चल जल्दी तू मधुशाला  जाकर भर दे प्रेम से खाली प्याला मत तड़पा राह देखने वाली को  करती है इंतजार प्यासी बाला  कुमार अहमदाबादी