आँखों से सुरमे की चोरी कल होती थी।
आज तो आँसु भी चोरी हो जाते हैं॥
शब्द; जिन्हेँ माँ की गोद मिल जाती है।
छाँव पाकर, मधुर लोरी हो जाते हैं॥
शौक गद्दी का, खूँखार होता बड़ा।
सभ्यता छोड़ सब घोरी हो जाते हैं॥
आज तो आँसु भी चोरी हो जाते हैं॥
शब्द; जिन्हेँ माँ की गोद मिल जाती है।
छाँव पाकर, मधुर लोरी हो जाते हैं॥
शौक गद्दी का, खूँखार होता बड़ा।
सभ्यता छोड़ सब घोरी हो जाते हैं॥
खाने पीने का फरमाते हैं शौक जो।
देखते देखते बोरी हो जाते हैं॥
कुमार अहमदाबादी
देखते देखते बोरी हो जाते हैं॥
कुमार अहमदाबादी
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