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गुरुवार, नवंबर 8

सितारा

चाँद से टपककर रेत के कणों से कराती है चाँदनी
कणों से टकराकर दो आँखों में समाती है चाँदनी
नजारा तब रेत का बहुत प्यारा लगता है
एक एक कण रेत का सितारा लगता है
कुमार अमदावादी

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चल जल्दी चल (रुबाई)

  चल रे मन चल जल्दी तू मधुशाला  जाकर भर दे प्रेम से खाली प्याला मत तड़पा राह देखने वाली को  करती है इंतजार प्यासी बाला  कुमार अहमदाबादी