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सोमवार, अगस्त 12

सूर्योदय हो या संध्या की बेला(रुबाई)

सूर्योदय हो या संध्या की बेला

मन कहता है चल अकेला चल अकेला

जीवनपथ पर चलना ही जीवन है

चलता रह तू मिल जाएगा मेला

कुमार अहमदाबादी

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चल जल्दी चल (रुबाई)

  चल रे मन चल जल्दी तू मधुशाला  जाकर भर दे प्रेम से खाली प्याला मत तड़पा राह देखने वाली को  करती है इंतजार प्यासी बाला  कुमार अहमदाबादी