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मंगलवार, अगस्त 13

मतवाली से रिश्ता (रुबाई)


चंदा जैसा मुखड़ा है साली का 

औ’ पूनम जैसा है घरवाली का

दोनों कविता को प्रेरित करती हैं

रिश्ता है दोनों से मतवाली का

कुमार अहमदाबादी

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चल जल्दी चल (रुबाई)

  चल रे मन चल जल्दी तू मधुशाला  जाकर भर दे प्रेम से खाली प्याला मत तड़पा राह देखने वाली को  करती है इंतजार प्यासी बाला  कुमार अहमदाबादी