सिने मैजिक
इक हवा का झोंका आया, टूटा डाली से फूल, ना चमन की ना पवन की, किस की है ये भूल, खो गयी खुशबू हवा में कुछ ना रह गया...जो लिखा था, आंसूओं के संग पर गया.... फिल्म कोरा कागज के इस गीत के संगीत निर्देशक संगीतकार कल्याणजी आनंदजी थे। राग झिंझोटी पर आधारित इस गीत के स्वरों को सात मात्रा के रूपक ताल में बांधा गया था। इस गीत में गायक किशोर कुमार ने एसी पीडा भरी है। एकांत में सुनने वाले की आंखें अक्सर नम हो जाती है।
दूसरी तरफ संगीतकारों ने इस गंभीर माने जाने वाले राग में हल्के फुल्के रोमांटिक गीत भी बनाये हैं। फिल्म चिराग में नायक द्वारा अपनी नायिका की कल्पना के भाव को मदन मोहन ने जिस गीत में व्यक्त किया है। उस का मुखड़ा तेरी आंखों के सिवा दुनिया में रखा क्या है... क्या लाजवाब है। इस गीत मे आगे शब्दों का कमाल देखिए ‘ये उठे सुबह चले, ये झुके शाम ढले, मेरा जीना मरना इन्हीं आंखों के तले’। आगे के अंतरे के शब्द पर गौर कीजिए ‘इन में मेरे आने वाले जमाने की तस्वीर है...’ चाहत के काजल से लिखी हुयी तकदीर है, ये उठे सुबह चले, ये झुके शाम ढले.. ये मदन मोहन द्वारा स्वरबद्ध शास्त्रीय गीतों में अपना एक अलग ही स्थान रखता है।
ता.17-12-2010 के दिन अजित पोपट द्वारा गुजरात समाचार में लिखित कॉलम सिने मैजिक में छपे लेख का आंशिक अनुवाद
अनुवादक - कुमार अहमदाबादी
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