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शुक्रवार, अगस्त 2

अर्थी पर दो बूंद चढा के यारों (रुबाई)


इक महफ़िल मित्रों की सजा के यारों 

प्याला पीना पास चिता के यारों 

पूरी करना अंतिम इच्छा मेरी 

अर्थी पर दो बूंद चढा के यारों

कुमार अहमदाबादी  

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किस्मत की मेहरबानी (रुबाई)

  जीवन ने पूरी की है हर हसरत मुझ को दी है सब से अच्छी दौलत किस्मत की मेहरबानी से मेरे आंसू भी मुझ से करते हैं नफरत कुमार अहमदाबादी