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शनिवार, अगस्त 3

मस्ती में है मन बंजारा (रुबाई)


रहता है मस्ती में मन बंजारा

साथी है मन का प्यारा इकतारा

इक दूजे में गुम रहते हैं दोनों

औ’ गाते हैं तारा रारा रारा

कुमार अहमदाबादी  

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बेमौसम बरसात (रुबाई)

जब जब होती है बेमौसम बरसात  शोले बन जाते हैं मीठे हालात  कहती है बरसात आओ तुम भीगो हौले हौले फिर भीगेंगे जज़बात  कुमार अहमदाबादी