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गुरुवार, अगस्त 29

घटा की आकांक्षाएं (रुबाई)

 

नैनों में नृत्य कर रही इच्छाएं

सावन में गुनगुना रही आशाएं

अलबेले बादल से कह रही है तुम

समझो प्यासी घटा की आकांक्षाएं 

 कुमार अहमदाबादी

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बेमौसम बरसात (रुबाई)

जब जब होती है बेमौसम बरसात  शोले बन जाते हैं मीठे हालात  कहती है बरसात आओ तुम भीगो हौले हौले फिर भीगेंगे जज़बात  कुमार अहमदाबादी