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सोमवार, अगस्त 19

बन के टूटे यहां (सिने मैजिक) राग झिंझोटी पार्ट -01

१९५८ में रिलीज हुयी मूवी छोटी बहन का ये गीत "बन के टूटे यहां आरज़ू के महल, ये जमीं आसमां भी गये हैं बदल, कहती है जिंदगी इस जहां से निकल... जाऊं कहां बता ए दिल, दुनिया बडी है संगदिल, चांदनी आयी घर जलाने, सूझे न कोई मंजिल" संगीत के शौकीनों का लाडला गीत है। 

संगीतकार जोडी शंकर जयकिशन ने इस गीत को भारतीय राग मंजूषा के भंडार में से एक राग झिंझोटी में स्वरबद्ध किया है। अंतरे के शब्दों से जिस तरह गीत आगे बढता है, उस पर गौर करने से मालूम होता है। गीत के स्वरों को एसे गूंथा है कि सुनने वाला दोनों यानि बनने और बिगड़ने के भाव महसूस करता है। गीत सुनने में इतना खो जाता है। ये पता ही नहीं चलता की आठ मात्रा के कहरवा ताल में पिरोया ये गीत कब पूरा हो गया। एक राग दरबारी कानडा की बात की तब बताया था। कुछ राग व रागिनी एसे हैं कि संगीत की थोडी सी समझ या जानकारी रखने वालों रस के सागर में डुबो देते हैं। खुशी का गीत हो तो श्रोता झूमने लगता है और दर्द भरा गीत हो तो गमगीन हो जाता है, कभी कभी रोने भी लगता है। 

शास्त्र की परिभाषा में ये एक संपूर्ण राग है। अर्थात इस में सरगम के मूल सातों स्वर सा रे गा म प ध नी सां है। अवरोह में निषाद का स्वरुप कोमल हो जाता है। हमारे संगीतकारों ने संगीत के शौकीनों को सात स्वरों के सागर में से एसे एसे गीत मोती निकाले हैं कि मन सोचता है। किन शब्दों में प्रशंसा करुं!


किशोर कुमार जितनी स्वाभाविक तरीके से हास्य रस बिखेरते थे। उतनी ही स्वाभाविकता से दर्द भरे गीत भी गाते थे। 

एसे कुछ गीतों का उल्लेख करता हूं। 

आप को गीत "कोई हमदम ना रहा, कोई सहारा ना रहा" अवश्य याद होगा। उस मूवी में किशोर कुमार ने हास्यरस और करुण रस दोनों का प्रदर्शन किया था। इस गीत की आरंभिक धुन एवं मुकेश के जिस गीत का आलेख की शुरुआत है। दोनों को गुनगुनाइये। आप को राग झिंझोटी में व्यक्त हुयी वेदना का अहसास अवश्य होगा। गीत के अंतरे के लिखे गये। शब्दों 'शाम तन्हाई की है, आयेगी मंजिल कैसे, जो मुझे राह दिखाए वही तारा ना रहा.....कोई हमदम ना रहा... में व्यक्त दर्द देखिये। झूमरु एवं छोटी बहन दोनों फिल्मों के इन गीतों की लय लगभग समान है। झूमरु का संगीत स्वयं किशोर कुमार ने दिया था। 

इसी राग पर आधारित एक और गीत १९७४ में प्रदर्शित एन एन सिप्पी की अशोक रॉय निर्देशित फिल्म चोर मचाए शोर में है। उस गीत के शब्द  घुंघरु की तरह बजता ही रहा हूं मैं है। ये गीत छह मात्रा के दादरा ताल में स्वरबद्ध किया गया था। 

गुजरात समाचार की अजित पोपट द्वारा लिखित कॉलम सिने मैजिक में ता.१०-१२-२०१० के दिन प्रकाशित लेख का आंशिक अनुवाद

अनुवादक - कुमार अहमदाबादी 


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