कहते हैं जोगी वाला फेरा है
इस जग में क्या तेरा क्या मेरा है
लेकिन जैसा भी है जब तक है दम
ये नश्वर जग ही अपना डेरा है
कुमार अहमदाबादी
साहित्य की अपनी एक अलग दुनिया होती है। जहां जीवन की खट्टी मीठी तीखी फीकी सारी भावनाओं को शब्दों में पिरोकर पेश किया जाता है। भावनाओं को सुंदर मनमोहक मन लुभावन शब्दों में पिरोकर पेश करने के लिये लेखक के पास कल्पना शक्ति होनी जरुरी है। दूसरी तरफ रचना पढ़कर उस का रसास्वादन करने के लिये पाठक के पास भी कल्पना शक्ति होनी जरुरी है। इसीलिये मैंने ब्लॉग का नाम कल्पना लोक रखा है।
कहते हैं जोगी वाला फेरा है
इस जग में क्या तेरा क्या मेरा है
लेकिन जैसा भी है जब तक है दम
ये नश्वर जग ही अपना डेरा है
कुमार अहमदाबादी
वो भोली कोमल औ' संस्कारी है
रिश्तेदारों को मन से प्यारी है
जल सी चंचल सागर सी गहरी औ'
गंगा जैसी पावन सन्नारी है
कुमार अहमदाबादी
ए जी मैं हूं प्यारी या ये बोतल
मैं हूं दिल की रानी या ये बोतल
सच कहना साजन बिन घबराए मैं हूं
मस्तानी दीवानी या ये बोतल
कुमार अहमदाबादी
नैनों से नैनों में मदिरा घोलो
मदिरा पीकर मीठा मीठा बोलो
मदहोशी जब नभ को छू ले तब तुम
मन के सम्मुख तन मन के पट खोलो
कुमार अहमदाबादी
ऋतुराज आये हैं देवी दर्शन दो
दे दो कुछ हम को कुछ वापस ले लो
अब तुम हो हमारी हम हैं तुम्हारे
अपने आप को खोकर हम को पा लो
कुमार अहमदाबादी
तुम ध्यान धरो मानव परमात्मा का
उस से ही मिलन होगा उच्चात्मा का
ये ध्यान तुम्हें ले जाएगा भीतर
दर्शन वहीं पर होगा श्रेष्ठात्मा का
कुमार अहमदाबादी
प्यारी भली सी है ये बोतल यारों
मीठी डली सी है ये बोतल यारों
क्या क्या मैं दूं उपमाएं इस साथिन को
नाजुक कली सी है ये बोतल यारों
कुमार अहमदाबादी
ये वो छोड़ो बोतल खोलो प्यारे
प्याला पी लो फिर कुछ बोलो प्यारे
पीकर बोलो खुलकर बोलो लेकिन
जो बोलो वो पहले तोलो प्यारे
कुमार अहमदाबादी
तुम तुम हो मैं मैं हूं समझे प्यारे
दोनों के जीवन है बिल्कुल न्यारे
हम दोनों हैं इस थाली में लेकिन
मैं हूं मीठा तुम हो पूरे खारे
कुमार अहमदाबादी
मन से ज्यादा गहरा है ये प्याला
प्याले से ज्यादा गहरी है हाला
जो भी डूबा गहराई में इन की
उसने खोला अपने मन का ताला
*कुमार अहमदाबादी*
देखो तुम कितनी प्यारी मूरत है
भोली भाली अलबेली सूरत है
चंचल मन पल पल करता है दर्शन
मन मंदिर में कान्हा की मूरत है
कुमार अहमदाबादी
चंचल है मछली सी आंखें तेरी
सोने की लड़ियां हैं बांहें तेरी
सब कुछ कह सकता नहीं मैं शब्दों से
जीवन है सरगम सी सांसें तेरी
कुमार अहमदाबादी
यारों मुझ को प्यारी है ये बोतल
सारे जग से न्यारी है ये बोतल
शायर हूं मैं यारों सच लिखता हूं
प्यारी है पर खारी है ये बोतल
कुमार अहमदाबादी
क्या बात है ज्योत आज कल जलती नहीं
बिजली भी है गरजी पर कभी चमकी नहीं
कुछ बात तो है सनम बता या ना बता
सावन में घटा आई मगर बरसी नहीं
कुमार अहमदाबादी
ये शाम हमारी है सनम प्यार करो
ढाओ अभी मदमस्त सितम प्यार करो
रंगीन हवा प्यास गुलाबी है नशा
ये शाम भी देती है कसम प्यार करो
कुमार अहमदाबादी
सूर्योदय होते ही बोतल खोली
बोतल प्यारी खुलते ही ये बोली
देखा ना तुम सा मैंने जीवन में
तुम ही हो मेरे प्यारे हमजोली
कुमार अहमदाबादी
खोजा था बहुत नाम को साथी न मिला
तैयार है पर जाम को साथी न मिला
मिलता नहीं है साथ किसी को भी यहां
एकांत है पर शाम को साथी न मिला
कुमार अहमदाबादी
जन्मो जन्मों की अभिलाषा हो तुम सतरंगी जीवन की आशा हो तुम थोडा पाती हो ज्यादा देती हो दैवी ताकत की परिभाषा हो तुम कुमार अहमदाबादी