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मंगलवार, अक्तूबर 24

अपना डेरा है(रुबाई)

 कहते हैं जोगी वाला फेरा है

इस जग में क्या तेरा क्या मेरा है

लेकिन जैसा भी है जब तक है दम

ये नश्वर जग ही अपना डेरा है

कुमार अहमदाबादी 

रविवार, अक्तूबर 22

कोमल और संस्कारी(रुबाई)


वो भोली कोमल औ' संस्कारी है

रिश्तेदारों को मन से प्यारी है

जल सी चंचल सागर सी गहरी औ'

गंगा जैसी पावन सन्नारी है

कुमार अहमदाबादी

प्यारी आवाज(रुबाई)

सब से मीठी सब से प्यारी आवाज
हल्की फुल्की एवं भारी आवाज
खुश कर देती है यारों तन मन को
ढक्कन के खुलने की न्यारी आवाज
कुमार अहमदाबादी
न्यारी - सब से अलग

मंगलवार, अक्तूबर 17

कौन है प्यारी मैं या बोतल (रुबाई)


ए जी मैं हूं प्यारी या ये बोतल

मैं हूं दिल की रानी या ये बोतल

सच कहना साजन बिन घबराए मैं हूं

मस्तानी दीवानी या ये बोतल

कुमार अहमदाबादी

सोमवार, अक्तूबर 16

मन के पट खोलो(रुबाई)


 नैनों से नैनों में मदिरा घोलो

मदिरा पीकर मीठा मीठा बोलो

मदहोशी जब नभ को छू ले तब तुम

मन के सम्मुख तन मन के पट खोलो

कुमार अहमदाबादी

गुरुवार, अक्तूबर 12

ऋतुराज आये हैं(रुबाई)

 ऋतुराज आये हैं देवी दर्शन दो

दे दो कुछ हम को कुछ वापस ले लो

अब तुम हो हमारी हम हैं तुम्हारे

अपने आप को खोकर हम को पा लो

कुमार अहमदाबादी

बुधवार, अक्तूबर 11

ध्यान धरो मानव (रुबाई)

 तुम ध्यान धरो मानव परमात्मा का

उस से ही मिलन होगा उच्चात्मा का

ये ध्यान तुम्हें ले जाएगा भीतर

दर्शन वहीं पर होगा श्रेष्ठात्मा का

कुमार अहमदाबादी

मंगलवार, अक्तूबर 10

नाजुक कली सी बोतल (रुबाई)


प्यारी भली सी है ये बोतल यारों

मीठी डली सी है ये बोतल यारों

क्या क्या मैं दूं उपमाएं इस साथिन को

नाजुक कली सी है ये बोतल यारों

कुमार अहमदाबादी

सोमवार, अक्तूबर 9

तोलकर बोलो(रुबाई)

ये वो छोड़ो बोतल खोलो प्यारे

प्याला पी लो फिर कुछ बोलो प्यारे

पीकर बोलो खुलकर बोलो लेकिन

जो बोलो वो पहले तोलो प्यारे

कुमार अहमदाबादी

शनिवार, अक्तूबर 7

मां का दामन(रुबाई)


बादल सा है मेरी मां का दामन
झरमर झरमर जैसे बरसे सावन
मां के जैसा कोई नहीं है जग में
मां की ममता है गंगा सी पावन
कुमार अहमदाबादी

शुक्रवार, अक्तूबर 6

मैं गीता हूं (रुबाई)

तुम तुम हो मैं मैं हूं समझे प्यारे

दोनों के जीवन है बिल्कुल न्यारे

तुम खंजर हो मैं भगवदगीता हूं

मैं मीठा हूं तुम हो पूरे खारे

कुमार अहमदाबादी

मन का ताला(रुबाई)

मन से ज्यादा गहरा है ये प्याला

प्याले से ज्यादा गहरी है हाला

जो भी डूबा गहराई में इन की

उसने खोला अपने मन का ताला

*कुमार अहमदाबादी*

कान्हा की मूरत(रुबाई)

देखो तुम कितनी प्यारी मूरत है

भोली भाली अलबेली सूरत है

चंचल मन पल पल करता है दर्शन

मन मंदिर में कान्हा की मूरत है

कुमार अहमदाबादी 

बुधवार, अक्तूबर 4

सरगम सी सांसें(रुबाई)

 

चंचल है मछली सी आंखें तेरी

सोने की लड़ियां हैं बांहें तेरी

सब कुछ कह सकता नहीं मैं शब्दों से

जीवन है सरगम सी सांसें तेरी

कुमार अहमदाबादी

मंगलवार, अक्तूबर 3

ये बोतल(रुबाई)


 यारों मुझ को प्यारी है ये बोतल

सारे जग से न्यारी है ये बोतल

शायर हूं मैं यारों सच लिखता हूं

प्यारी है पर खारी है ये बोतल

कुमार अहमदाबादी 

ज्योत जलती नहीं(रुबाई)

 

क्या बात है ज्योत आज कल जलती नहीं

बिजली भी है गरजी पर कभी चमकी नहीं

कुछ बात तो है सनम बता या ना बता

सावन में घटा आई मगर बरसी नहीं

कुमार अहमदाबादी

ये शाम हमारी है (रुबाई)


ये शाम हमारी है सनम प्यार करो

ढाओ अभी मदमस्त सितम प्यार करो

रंगीन हवा प्यास गुलाबी है नशा

ये शाम भी देती है कसम प्यार करो

कुमार अहमदाबादी

सोमवार, अक्तूबर 2

बोतल बोली (रुबाई)

 

सूर्योदय होते ही बोतल खोली

बोतल प्यारी खुलते ही ये बोली

देखा ना तुम सा मैंने जीवन में

तुम ही हो मेरे प्यारे हमजोली

कुमार अहमदाबादी

साथी न मिला(रुबाई)


खोजा था बहुत नाम को साथी न मिला

तैयार है पर जाम को साथी न मिला

मिलता नहीं है साथ किसी को भी यहां

एकांत है पर शाम को साथी न मिला

कुमार अहमदाबादी

किस्मत की मेहरबानी (रुबाई)

  जीवन ने पूरी की है हर हसरत मुझ को दी है सब से अच्छी दौलत किस्मत की मेहरबानी से मेरे आंसू भी मुझ से करते हैं नफरत कुमार अहमदाबादी