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मंगलवार, अक्टूबर 3

ये बोतल(रुबाई)


 यारों मुझ को प्यारी है ये बोतल

सारे जग से न्यारी है ये बोतल

शायर हूं मैं यारों सच लिखता हूं

प्यारी है पर खारी है ये बोतल

कुमार अहमदाबादी 

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बेमौसम बरसात (रुबाई)

जब जब होती है बेमौसम बरसात  शोले बन जाते हैं मीठे हालात  कहती है बरसात आओ तुम भीगो हौले हौले फिर भीगेंगे जज़बात  कुमार अहमदाबादी