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सोमवार, अक्तूबर 2

साथी न मिला(रुबाई)


खोजा था बहुत नाम को साथी न मिला

तैयार है पर जाम को साथी न मिला

मिलता नहीं है साथ किसी को भी यहां

एकांत है पर शाम को साथी न मिला

कुमार अहमदाबादी

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मीठी व हंसी रातों की आशा है रंगीन मधुर बातों की आशा है  कुछ ख्वाब एसे हैं जिन्हें प्रीतम से मदमस्त मुलाकातों की आशा है  कुमार अहमदाबादी