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बुधवार, अक्तूबर 4

सरगम सी सांसें(रुबाई)

 

चंचल है मछली सी आंखें तेरी

सोने की लड़ियां हैं बांहें तेरी

सब कुछ कह सकता नहीं मैं शब्दों से

जीवन है सरगम सी सांसें तेरी

कुमार अहमदाबादी

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मुलाकातों की आशा(रुबाई)

मीठी व हंसी रातों की आशा है रंगीन मधुर बातों की आशा है  कुछ ख्वाब एसे हैं जिन्हें प्रीतम से मदमस्त मुलाकातों की आशा है  कुमार अहमदाबादी