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बुधवार, अक्तूबर 11

ध्यान धरो मानव (रुबाई)

 तुम ध्यान धरो मानव परमात्मा का

उस से ही मिलन होगा उच्चात्मा का

ये ध्यान तुम्हें ले जाएगा भीतर

दर्शन वहीं पर होगा श्रेष्ठात्मा का

कुमार अहमदाबादी

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मुलाकातों की आशा(रुबाई)

मीठी व हंसी रातों की आशा है रंगीन मधुर बातों की आशा है  कुछ ख्वाब एसे हैं जिन्हें प्रीतम से मदमस्त मुलाकातों की आशा है  कुमार अहमदाबादी