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सोमवार, अक्टूबर 2

बोतल बोली (रुबाई)

 

सूर्योदय होते ही बोतल खोली

बोतल प्यारी खुलते ही ये बोली

देखा ना तुम सा मैंने जीवन में

तुम ही हो मेरे प्यारे हमजोली

कुमार अहमदाबादी

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