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मंगलवार, मई 14

पुत्रवधू - सवाई बेटी

*पुत्रवधू - सवाई बेटी* 

ये जग जाहिर है. संबंधों में विजातीय व्यक्तियों में ज्यादा तालमेल होता है. सामंजस्य होता है. मान सम्मान ज्यादा होता है. हां, इस में कुछ अपवाद अवश्य होते हैं. लेकिन वैसे अपवाद हर संबंध में होते हैं. 

लगभग आप सब ने महसूस किया होगा. पिता पुत्री के संबंधों में कुछ अलग स्तर का तालमेल होता है. माता पुत्र के संबंधों  में तालमेल अलग स्तर का होता है. सासू जंवाई के संबंध में तालमेल अच्छा हो तो पति पत्नी के जीवन में बिखराव होने की संभावनाएं बहुत कम हो जाती है. इसी तरह ससुर और पुत्रवधू के संबंध में भी तालमेल आपसी सूझबूझ अलग ही स्तर के होते हैं. इस का कारण ये होता है कि पुत्रवधू को ससुर में अपने पिता और ससुर को पुत्रवधू में बेटी दिखाई देते हैं. 

इस के अलावा कुछेक कारण होते हैं. ज्यों ज्यों समय गुजरता जाता है. पुत्र व्यवसाय में व्यस्त होता जाता है. सासू भी वृद्ध हो जाती है. घर गृहस्थी को सुचारु रूप से चलाने की जिम्मेदारी धीरे धीरे बहु पर आ जाती है. 

अक्सर पुत्र को ये मालूम नहीं होता की पापा को कब क्या चाहिए, कौन सी दवाई कब देनी है, उन्हें कौन सी सब्जी पसंद है और कौन सी नहीं. उन की दिनचर्या क्या है. क्यों की वो अपने व्यवसाय में पूरी तरह व्यस्त होता है. हम सुनार घर में रहकर व्यवसाय करते हैं; इसलिए हमें उस परिस्थितियों से गुजरना नहीं पड़ता. जिन से दूसरे समाज के लोग गुजरते हैं. वहां पुत्र अक्सर व्यवसाय के कारण घर बाहर घर से बाहर रहने के कारण घरेलू परिस्थितीयों से परिचित नहीं होता. ज्यों ज्यों पिता की आयु बढ़ती है.  शारीरिक दुर्बलता बढ़ती है. तब घर में पिता की जरूरतों का ख्याल पुत्रवधू ही रखती है. एसे में अगर सुगर या रक्तचाप(हाई या लो प्रेशर) की समस्या होने पर दवाइयां शुरू हो जाती है; तो बहू को ही मालूम होता है. पापा जी को कब कौन सी गोली कितने बजे देनी है. पापा जी के लिए खाने में अब कौन से मौसम में कौन सी सब्जी गुणकारी रहेगी और कौन सी नुकसान करेगी. वो उसी के अनुसार भोजन का मेनू भी बनाती है. आप में से कई लोगों ने ये संवाद सुना होगा कि नहीं, अभी इस मौसम में ये सब्जी नहीं बना सकती क्यों की पापा जी को इस मौसम में ये नुकसान करती है. एसा संवाद भी सुना होगा कि पापाजी को ये सब्जी बहुत पसंद है. अभी इस की सीजन भी है तो आज यही सब्जी बनाती हूं. बहु को मालूम होता है. पापाजी को सुबह की चाय कितने बजे चाहिए. नाश्ते में क्या चाहिए. बहु पापा जी के स्वास्थ्य के प्रति इतनी जागरुक होती है की अगर भूल से भी ससुर कोई एसे व्यंजन की फरमाइश कर दे. जो उन की सेहत के लिए नुकसानदायक हो तो ये कहने से भी नहीं हिचकती कि पापा जी ये आप को लेना नहीं है. आप को ये नुकसान करेगा. और......मजे की बात देखिए ससुर खुशी खुशी व हंसकर बहु की सलाह को मान भी लेता है. लेकिन यदि यही सलाह अगर पत्नी दे तो तुरंत उस पर गुस्सा हो जाता है. फौरन पत्नी से कहता है हां, अब खाना पीना भी तेरी मरजी के अनुसार करना पड़ेगा मुझे! लेकिन बहु का कहना हंसकर स्वीकार कर लेता है. ये पता ही नहीं चलता. जीवन बहु को कब *सवाई बेटी* बना देता है.                                                              *कुमार अहमदाबादी*


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