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रविवार, मई 14

गीत बनती है(मुक्तक)

 बावफा की सब दुआएं गीत बनती है

और उस की सिसकियां संगीत बनती है 

साथ लेकर ताल का जब गूंजती है वो 

चाहकों के मन की फिर मनमीत बनती है 

कुमार अहमदाबादी

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बेमौसम बरसात (रुबाई)

जब जब होती है बेमौसम बरसात  शोले बन जाते हैं मीठे हालात  कहती है बरसात आओ तुम भीगो हौले हौले फिर भीगेंगे जज़बात  कुमार अहमदाबादी