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मंगलवार, मई 2

जिंदगानी देखी(रुबाई)


मासूम व पवित्र जिंदगानी देखी
कण कण में कथा तथा कहानी देखी
दो चार पलों की जिंदगी में मैंने
ठहराव कभी कभी रवानी देखी
कुमार अहमदाबादी

रवानी = लगातार गतिशील

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मुलाकातों की आशा(रुबाई)

मीठी व हंसी रातों की आशा है रंगीन मधुर बातों की आशा है  कुछ ख्वाब एसे हैं जिन्हें प्रीतम से मदमस्त मुलाकातों की आशा है  कुमार अहमदाबादी