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शुक्रवार, दिसंबर 1

मैं हूं तेरी मधुशाला(रुबाई)

छोडो ये ये है शीशे का प्याला

प्यासी है तेरी प्यारी मधुबाला

जीवनभर होश में न आने दूंगी

मुझ को पी मैं हूं तेरी मधुशाला

कुमार अहमदाबादी  


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बेमौसम बरसात (रुबाई)

जब जब होती है बेमौसम बरसात  शोले बन जाते हैं मीठे हालात  कहती है बरसात आओ तुम भीगो हौले हौले फिर भीगेंगे जज़बात  कुमार अहमदाबादी