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शुक्रवार, दिसंबर 1

मैं हूं तेरी मधुशाला(रुबाई)

छोडो ये ये है शीशे का प्याला

प्यासी है तेरी प्यारी मधुबाला

जीवनभर होश में न आने दूंगी

मुझ को पी मैं हूं तेरी मधुशाला

कुमार अहमदाबादी  


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मुलाकातों की आशा(रुबाई)

मीठी व हंसी रातों की आशा है रंगीन मधुर बातों की आशा है  कुछ ख्वाब एसे हैं जिन्हें प्रीतम से मदमस्त मुलाकातों की आशा है  कुमार अहमदाबादी